भारतीय हॉकी के लिए पेरिस ओलंपिक 2024 एक यादगार क्षण साबित हुआ, जहां टीम ने स्पेन को हराकर ब्रॉन्ज मेडल जीता। इस ऐतिहासिक जीत में गोलकीपर PR sreejesh की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही। उन्होंने अपने आखिरी ओलंपिक टूर्नामेंट में अपने शानदार प्रदर्शन से भारत की जीत सुनिश्चित की और इसके साथ ही रिटायरमेंट की घोषणा कर दी।
पेरिस ओलंपिक 2024 में PR sreejesh का अद्भुत प्रदर्शन
8 अगस्त को हुए ब्रॉन्ज मेडल मैच में भारत ने स्पेन को 2-1 से हराया। पूरे टूर्नामेंट के दौरान, खासतौर पर क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल में, पीआर श्रीजेश ने अपने शानदार गोलकीपिंग कौशल का प्रदर्शन किया। ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में, श्रीजेश ने 43 मिनट तक 10 खिलाड़ियों के साथ खेलते हुए कई असाधारण सेव किए। शूटआउट में उनकी कुशलता ने भारत को जीत दिलाई। सेमीफाइनल में, भले ही भारत जर्मनी से 2-3 से हार गया, लेकिन श्रीजेश की परफॉर्मेंस ने दर्शकों और विशेषज्ञों को प्रभावित किया।
पीआर श्रीजेश का विदाई टूर्नामेंट
पेरिस ओलंपिक 2024 से पहले, पीआर श्रीजेश ने घोषणा कर दी थी कि यह उनका आखिरी टूर्नामेंट होगा। भारतीय हॉकी के इस महान खिलाड़ी ने अपने करियर में 336 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले और चार ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने 2010 में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की और तब से लेकर अब तक उन्होंने भारतीय हॉकी के इतिहास में कई सुनहरे पन्ने जोड़े हैं। श्रीजेश की सबसे बड़ी उपलब्धियों में 2021 के टोक्यो ओलंपिक में जीता गया ब्रॉन्ज मेडल शामिल है।
पीआर श्रीजेश की उपलब्धियाँ
पीआर श्रीजेश का करियर उपलब्धियों से भरा हुआ है। 2014 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक और 2018 एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा होने के अलावा, उन्होंने 2018 एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी और 2022 के राष्ट्रमंडल खेलों में भी भारतीय टीम का नेतृत्व किया। उन्हें 2021 में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया और वह ‘वर्ल्ड गेम्स एथलीट ऑफ द ईयर’ का पुरस्कार जीतने वाले भारत के दूसरे खिलाड़ी बने। इसके अलावा, उन्होंने लगातार दो बार (2021 और 2022) एफआईएच ‘गोलकीपर ऑफ द ईयर’ का पुरस्कार भी जीता।
पीआर श्रीजेश का योगदान और भारतीय हॉकी में उनकी जगह
पेरिस ओलंपिक 2024 में ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद, श्रीजेश ने अपनी विदाई की घोषणा की। भारतीय हॉकी के लिए उनका योगदान अमूल्य है, और उनकी जगह लेना किसी भी नए गोलकीपर के लिए बड़ी चुनौती होगी। उनकी यह विदाई भारतीय हॉकी के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगी।
पीआर श्रीजेश का प्रारंभिक जीवन और हॉकी में प्रवेश
पीआर श्रीजेश का जन्म 8 मई 1988 को केरल के एर्नाकुलम जिले में हुआ था। एक किसान परिवार में जन्मे श्रीजेश ने बचपन में एथलेटिक्स में रुचि दिखाई, लेकिन बाद में उनका रुझान हॉकी की ओर हो गया। 12 साल की उम्र में उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया, और उनके कोच ने उन्हें गोलकीपर के रूप में प्रशिक्षित किया। धीरे-धीरे, श्रीजेश ने राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में अपनी पहचान बनाई और 2004 में भारतीय जूनियर हॉकी टीम का हिस्सा बने।
पीआर श्रीजेश का सीनियर करियर और प्रमुख टूर्नामेंट
2006 में श्रीजेश ने भारतीय सीनियर हॉकी टीम में जगह बनाई। शुरुआती वर्षों में उन्हें मुख्य टीम में नियमित स्थान नहीं मिला, लेकिन उनकी क्षमताओं ने उन्हें जल्द ही टीम का महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया। 2011 में एशियन चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल में उनके शानदार प्रदर्शन ने भारत को स्वर्ण पदक दिलाया। 2014 में उन्होंने इंचियोन एशियन गेम्स में भी स्वर्ण पदक जीता और इसी वर्ष उन्हें भारतीय हॉकी टीम का कप्तान नियुक्त किया गया।
पीआर श्रीजेश का व्यक्तिगत जीवन
पीआर श्रीजेश का विवाह 2011 में अनीशा से हुआ, जो एक फिजियोथेरेपिस्ट हैं। उनके दो बच्चे हैं, एक बेटा और एक बेटी। उनका परिवार उनके खेल करियर में हमेशा उनका समर्थन करता रहा है।
पीआर श्रीजेश: संघर्ष, मेहनत और दृढ़ता का प्रतीक
पीआर श्रीजेश की कहानी भारतीय हॉकी के लिए एक प्रेरणा है। उनका संघर्ष, मेहनत और दृढ़ता ने उन्हें इस मुकाम तक पहुँचाया है। आज वह युवा खिलाड़ियों के लिए एक आदर्श हैं और उनके योगदान को भारतीय खेल इतिहास में सदैव याद किया जाएगा। उनकी विदाई भारतीय हॉकी के लिए एक युग का अंत है, लेकिन उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेग